खुद को बलिहारी करके धीर-धीरे नज़रों को उठा तुम्हें देखा है। अपनी हस्ती को नगण्य मान समस्त स्वरूपी तुम्हें देखा है। है धीमी अपनी चाल किन्तु कदमों की लहराहट में... More
कभी सुनी है तुमने तन्हाई की आवाज़बैठे थे जो साथ, हम तुम कभीहाथों में हांथ भी था, और महसूस किया थाहृदय-भावों का निर्मल चुम्बन।किंचित आँखों से ही कुछ तुम कह... More