Juhi Mala Upadhyay

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हर हृदय परेशां हैं, हर मन में तनाव और निराशा हैं, आखिर क्यों? क्या हम खोने-पाने की होड़ में ख़ुद को खो रहे हैं? हमारी महत्वकांक्षी अपेक्षाएं अथवा कुछ पाने... More

प्रकृति-गीत वीरान जंगल, नाचते मयूर, कल कल बहते झरनें, महकते गुलाब और जूही, गाती कोयल और बटेर, क्या कहते है हमसे? क्या कोई पैगाम सुनाते हैं? क्या कभी उनके मधुर... More

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