सीख
चहकती फुदकती अपनी नन्ही चोंच में
कुछ टूटी टहनियां और सूखे पत्ते लिये
उमंग भरी उड़ान संग जा पहुँचि
पेड़ पर अपना बसेरा बनाने के लिये।।
कई दिनों की मेहनत के बाद
हुआ चिड़िया का बसेरा तैयार
अपने परिवार की शुरुआत के लिए
करने लगी वह बेसब्री से इंतजार।।
हाय! प्रकृति ने दिखाया अपना प्रकोप
संग लाया भयंकर तूफान अगली भोर
दुःखी आंखों से वह देख रही थी
टूटकर नीचे गिरे अपने बसेरे की ओर।।
पंख फड़फड़ाते कुछ पल पश्चात
फिर नये बसेरे की तैयारी करने लगी
और कुछ दिनों बाद नए बसेरे से
उसके बच्चों की मधुर चहचहाहट आने लगी।।
आशा, धीरज और हौसला रखने की
चिड़िया दे गई मुझे बड़ी सीख
अपनी मधुर चहचहाहट से समझा गयी
कोशिश करने वालों की होती है जीत।।
पदमा
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6 Comments on “सीख”
Good one. Keep it flowing…
Good one. Keep it flowing…
👏👏👏👌Superb padma…so simple yet so realistic…teaching us life must go on…..
A beautiful way of understanding, experiencing and learning
Excellent.
Beautiful lines straight from the heart