आराधना अग्रवाल। (विधा : लघुकथा) (आभासी मित्र | सम्मान पत्र)
पति एवं बच्चों की अति व्यस्तता ने उसे आभासी जगत से जोड़ा। धीरे धीरे कई मित्र जुड़ते गए और वह इस दुनिया में रम गयी।
पति एवं बच्चों की अति व्यस्तता ने उसे आभासी जगत से जोड़ा। धीरे धीरे कई मित्र जुड़ते गए और वह इस दुनिया में रम गयी।
ना जाने दौर ये कैसा आया है अपनों से ही मिलने को तरसता है दिल फ़िज़ा में बिखरी हैं तनहाइयाँ और हालात भी हैं थोड़े
आभासी मित्र ——————— दिल के बहुत करीब हो मित्र, लेकिन कभी हम मिले नहीं । पहचानता हूं तुम्हें फोटो में, लेकिन कभी सामने दिखे नहीं
The Poet celebrates each moment either captured or lived by Darshan Raval through these poems penned down using different rhyme schemes. The poems are rife
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