कविता : श्याम संग होली
*कविता का शीर्षक* 🎊 *श्याम संग होली*🎊 मोहे रंग दे मोरे श्याम अपनी प्रीत से मोहे रंग दे फूल बहार, छींटे फुहार अबीर गुलाल सब
*कविता का शीर्षक* 🎊 *श्याम संग होली*🎊 मोहे रंग दे मोरे श्याम अपनी प्रीत से मोहे रंग दे फूल बहार, छींटे फुहार अबीर गुलाल सब
हे स्त्री! …………. हे स्त्री! मत सोच कि जमाना क्या कहता है? वहीं कर जो तुम्हारा दिल कहता है.. कहते हैं जब तुझे निर्बल, तब
इतिहास इतिहास गवाह है बल – बुद्धि मिलकर विजय गीत लिखती है, चाणक्य की बुद्धि, चंद्रगुप्त की वीरता से मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ती है।
Let’s make a difference! Manpower without unity is not a strength unless it’s harmonised and united properly..! Fasting groups of intelligence and embracing a common
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