शीतल प्रधान देशपांडे। (विधा : लघु कथा) (मेरा देश मेरा अभिमान | सम्मान पत्र)
रिटायर्ड कर्नल राजिंदरजी रोज की तरह पूजा पाठ करके रामदास जी की तस्वीर पर माला चढ़ा रहे थे। तभी उनका पोता राहुल आया,”दादाजी आप रोज
रिटायर्ड कर्नल राजिंदरजी रोज की तरह पूजा पाठ करके रामदास जी की तस्वीर पर माला चढ़ा रहे थे। तभी उनका पोता राहुल आया,”दादाजी आप रोज
शस्य श्यामल धरा नीचे,ऊपर लहराता नीला आसमान तीन रंगों की भव्य छटा निराली,तीन रंगों की अनूठी शान रश्मिपुंज चरण पखारे ,करोड़ कंठ से उद्धृत यशो
मेरे देश की माटी, तेरे चरण पखारूँ , करूँ तेरा सम्मान , तू ही तो है अस्तित्व मेरा, और तू ही मेरा अभिमान। वैभवशाली अतीत
खुद को बलिहारी करके धीर-धीरे नज़रों को उठा तुम्हें देखा है। अपनी हस्ती को नगण्य मान समस्त स्वरूपी तुम्हें देखा है। है धीमी अपनी चाल
हर हृदय परेशां हैं, हर मन में तनाव और निराशा हैं, आखिर क्यों? क्या हम खोने-पाने की होड़ में ख़ुद को खो रहे हैं? हमारी
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