रीता बधवार। (विधा : उद्धरण) (एक पैगाम पिता के नाम | सम्मान पत्र)
बाबू तुम कितने शांत कितने अच्छे, तुम्हें प्यार करते हम बच्चे, एक बार बस एक बार आ जाओ, मेरे सर पर अपना स्नेहिल हाथ फिरा
बाबू तुम कितने शांत कितने अच्छे, तुम्हें प्यार करते हम बच्चे, एक बार बस एक बार आ जाओ, मेरे सर पर अपना स्नेहिल हाथ फिरा
वाह पापा वाह रिचा सुंदर सुशील उपाध्याय जी की इकलौती पुत्री इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर परीक्षा परिणाम की प्रतीक्षा
क्या ?? ….जीनत का पता चल गया??….. क्या हुआ ?किस का फोन है?…….. जीनत की माँ अपने पति से पूछ रही थी। पिता निढाल होकर
प्रिय पापा मुझे अकेला अनाथ छोड़कर जाने कहाँ आप खो गये ? देश की सरहद को दुशमनों से बचाया और खुद चिरनिद्रा में सो गये
अनकही बातें,भावनाएँ जो भीतर ही रह गईं शब्द बन कर जो जीव्हा पर ना आईं।। मन ही मन घूमती रही भीतर मैं इतराती रही,थी जिन
हर एक पिता में, समझो तो, थोड़ी सी माँ भी होती है वो पालन पोषण करता है , माँ जिस फ़सल को बोती है शिशु
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