सोनिया सेठी (UBI जंगल की एक सुबह प्रतियोगिता | वरिष्ठ कविगण )
मिल जाए ऐसा अवकाश, पूरी हो खुद में, खुद की तलाश। बैठूंगा जब तले, नीले आकाश, जब फुर्सत ही होगी केवल, मेरे आस पास। आह
मिल जाए ऐसा अवकाश, पूरी हो खुद में, खुद की तलाश। बैठूंगा जब तले, नीले आकाश, जब फुर्सत ही होगी केवल, मेरे आस पास। आह
देखी ••• ? जंगल की उन्मुक्त भोर जिसमें असंख्य हैं आवाजें पर नहीं कोलाहल या शोर.. ! जिसमें है जीवन का जीवंत चित्र जिसमें है
Be it tomorrow, yesterday or today Morning always brings special gift everyday Every morning elevates my mood However escalates it, the morning in the woods
Birds chirping, hint of mist Wake up to the freshness of the breeze Oh look I spot a frog scampering in to the woods Hope
लता!मेरे देखते-देखते ही कितनी बड़ी हो गई है। इठलाती-बलखाती, नन्ही-सी लता अब मेरे गले लग गई है। जंगल की सैर करने निकलती हूँ मैं, सुबह-सुबह
Dawn applauds light and heralds hope ‘s future With coloured view that Fosters unity in diversity Chirping of birds Would disillusion any grammy award winner’s
Chirrup of birds ,humming of bees Smile of sunshine on the green leafs . It’s the time for positive thought It’s the time to recall
जंगल की वह सुबह याद है, । पेट से गूंजती जैसे फरयाद है, । किसी ने रुक कर पूछा यह लोटा कैसे । घबराते मैने
As you enter the wood, You are totally in a different mood , Your soul,in a new world usher, Talking to you In a tone
एक सुबह जंगल मे जाना हुआ ! चारो और छाई थी हरियाली ! था खूबसूरत समा ! दिल खो गया उन वादियों मे वहां !
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