दिनांक 31/5/2020
संख्या 98 के लगभग।
विश्वास
***********
गुरु ने शिष्यों को बाँस की टोकरियाँ दीं और कुटिया धोने का आदेश दिया।
शिष्य नदी पर टोकरी भरते मगर पानी बह जाता । एक बार – – दो बार– तीन बार, पानी नहीं टिका। आखिरकार शिष्यों ने हार मान ली।
एक शिष्य को गुरु पर अटूट विश्वास था। वह बार बार टोकरी– भरता, कुटिया की ओर चल पड़ता।
शिष्य का विश्वास जीत गया। पानी के चलते बाँस की टोकरी फूल गई और पानी टोकरी में थमने लगा। शिष्य ने खुशी खुशी गुरु की कुटिया धोई और आशीर्वाद पाया। सचमुच श्रद्धा निष्ठा और आस्था के साथ विश्वास की शक्ति सफलता का मूल मंत्र है।
हेमलता मिश्र “मानवी “नागपुर
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.