होश ओ हवास में कहती हूँ आज
जानती हूँ वक़्त का नहीं इलाज
मैं कल में रहूं ना रहूं या कल मेरा हो न हो
आज ज़ुबाँ चल रही, कल गुफतगू हो न हो
वसीयत बयान करती हूँ तुम लिख लेना
मोहर लगे कागज़ों पर, फिर छाप लेना
नज़्म ही लिखी जाए जो हम लिखने पर आए
कानूनी कागज़ों पर ये मिज़ाज कहाँ भाए
खैर लिखना , अपने अल्फाज़ो में
अधूरी कविताऐं हैं भरी दराज़ों में
उन्हें मेरे ही साथ दफन करना
जो पूरी हैं उन्हें छपवाने का बंदोबस्त करना
फोन में तस्वीरें हैं पुरानी डिलीट मत करना
यादों का सरमाया है जो छोड़ जाऊंगी
याद कर कभी तुम भी मुस्कुरा देना
धन दौलत तो नहीं है पास मेरे
दुआएँ हैं अपनी सो दिये जाऊंगी
कुछ उन में से मेरे लिए भी खर्च करना
कुछ दुनियावी सामान है बाँट देना
अधूरे सपनो का बोझ तुम पर नहीं है
गर पूरा करना चाहो कोई तो
देख दिखा के छाँट लेना
भागती दौड़ती ज़िंदगी में
शहद सुकून का चाट लेना
बर्नी शहद की छोड़ जाऊंगी।
-हमीदा हकीम
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