आज मेरी किरण से साथ शायद चौथी बार पार्टी में फिर से मुलाक़ात हुई। और आज भी उन्होंने मीठा खाने से बिल्कुल इंनकार कर दिया। पर मैंने जिज्ञाशा वश उन से पुछ ही लिया “किरण-आप को तो डॉयबिटीज भी नहीं है.. फिर भी आप को कभी मीठा खाते हुवे नहीं देखा, बुरा ना माने तो क्या मैं इस का कारण पुछ सकती हूँ ?”
किरण “हाँ-हाँ बिलकुल पुछ सकती हो।”
“असल में आशा, बात ये है की, डॉयबिटिज हमारे परिवार ने अनुवांशिक, पैतृक बिमारी है। और मैं नहीं चाहती की मुझे भी डॉयबिटिज हो। और सबसे बड़ी बात ये है कि मैं और मेरे पति, हम हमारे बच्चों को, और हमारे होने वाले पोता-पोती को स्वस्थ दादा-दादी और स्वस्थ नाना-नानी उपहार के रूप में देना चाहते है। ताकि हम एक स्वस्थ शरीर के साथ अपने होने वाले पोता-पोती को भरपूर प्यार दे सके और उनकी बचपन की अटखेलियों का पूरा मज़ा एक स्वस्थ शरीर के साथ ले सके।”
किरण की ये बात मुझे अंदर तक छु गई, की स्वस्थ शरीर भी भी एक अनूठा उपहार हो सकता है एक बहुत ही सुंदर उपहार।
जिस के बारे में मैंने शायद कभी सोचा ही नहीं था।
क्या आप ने कभी ऐसा उपहार किसी को दिया ? या देते हुवे देखा या देने के बारे में सोचा ?
आभा….
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