धन्यवाद करती हूँ मैं उन सबका
दिया जिन्होंने मुझे व्यथा का प्रसाद
जिन जिन मित्रों ने हर कदम पर स्नेह दिया
उस उस मित्र को धन्यवाद।
जीवन की लंबी सड़क पर अनजाने ही बने मित्रों का
धन्यवाद सीमित पथ पर लंबी डगर पर रास्ता तय कर लेना
कुछ खेल नहीं है जिस जिस से हर पथ पर संबल मिला
हर उस राही का धन्यवाद।
ढाई अक्षरों से मिला एक अक्षर जिससे स्थिर सांसो को मिला
वजूद जिससे जीवन में आया नव स्फूर्ति का जुनून
साथ चलने वालों की पहचान छूट गई पर यादें साथ रह गई
उन यादों को संजोए रखने के लिए हर व्यक्ति का धन्यवाद।
धन्यवाद करती खुद का क्योकि हर ख़ुशी और हर मुस्कुराहट मेरी सोच पर निर्भर करती हैं आप लोगों का मैं हमेशा आदर कर सकूं उसके लिए अपनी अंतरात्मा का करबद्ध धन्यवाद।
( स्वरचित सीमा वालिया)
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 1 / 5. Vote count: 1
No votes so far! Be the first to rate this post.