खट्टी मीठी यादों की स्मृति है जिंदगी,
कभी अनूठी, अनसुलझी पहेली है जिंदगी।
कभी धूप की चाह, पर बरसात है जिंदगी,
आस – निरास के रंग, रंगी है जिंदगी।
कभी तन्हाइयों में सहेली है जिंदगी।
कभी सपनों सी सुंदर, रंगीन है जिंदगी,
कभी महफिलों में नज़र आती है जिंदगी,
कभी अकेले में सुकून देती है जिंदगी।
कभी सरपट दौड़ती चली जाती है जिंदगी,
कभी काटे से भी नहीं कटती है जिंदगी।
कभी जुनून, कभी सुकून है जिंदगी,
कभी छाया, कभी छलावा है जिंदगी।
कर्मों के आधार पर मिलती है जिंदगी,
ईश्वर का सुंदर उपहार है जिंदगी।
कभी हंसाया, कभी जी भर रुलाया है जिंदगी,
फिर भी जीवन है तबतक, जबतक चलती रहे जिंदगी….
पल पल बदलती, नदी सी बहती है जिंदगी,
उतार चढ़ाव कितने भी आएं, चलती रहे जिंदगी।
अपनी मर्जी की मालिक है ये जिन्दगी,
मेरे हिसाब से कब कहां चलती है जिंदगी।
कभी बिखरती, तो कभी निखरती है जिंदगी,
कभी मुंह चिढा़ती, पर शुक्र है चलती जा रही है जिंदगी।
-सोनिया सेठी
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5 Comments on “सोनिया सेठी (विधा : कविता) (चलती रहे ज़िंदगी | प्रशंसा पत्र )”
Very nice
Bahut khubsurt…
सुंदर
Beautiful described yeh saali Zindagi .Par hai badi Sundar yeh khatti mithi Zindagi.😘
Amazing