आज एक दिन और गुजर गया,
कुछ दिनों में ये साल भी गुजर जाएगा।
कुछ अपने भी गुजर गए इस साल,
छोड़ गए कुछ यादें बेमिसाल।
गुजर रही हूँ मैं भी लम्हा लम्हा,
जैसे गुज़रता है चांद तन्हा तन्हा।
गुज़रती रही रात जैसे आंखों में,
मैं भी गुजरती रही हर छोटे-बड़े दर्द से।
सोचा था इस साल को कुछ यादगार बनाउंगी,
नहीं पता था घावों की मरहम ढूँढती रह जाऊंगी।
फिर भी तेरा शुक्रिया 2019,
तूने मुझे तूफानों से लड़ना सिखाया ।
ठहर गई थी मैं, तूने मुझे समझाया,
सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है, जिंदगी नहीं।
उठ, हौसला ना छोड़, चलती चल,
कामयाबी तेरे कदमों को चूमेगी।
उसी मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
उम्मीद की उंगली पकड़ फिर चलना है जिंदगी।
बहुत बार टूटी, मगर बिखरी नहीं हूँ ,
ज़ख्म देने के लिए भी तेरा शुक्रिया, ऐ जिंदगी।
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.