श्री अश्विनी राय 'अरुण'
श्री अश्विनी राय ‘अरुण’ का जन्म बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से गांव मांगोडेहरी में हुआ है… और शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। बाकी की शिक्षा कोलकाता से हुई और वे शुरू शुरू में वहीं रहकर जीवनयापन की लड़ाई लड़ते रहे। वे पेशे से कृषक हैं। मगर २६ वर्ष की आयु में ही कृषी कार्य से अलग साहित्य के लिए काम करना शुरू कर दिया था।
२०१७ दिसम्बर में उनकी पहली पुस्तक ‘बिहार – एक आईने की नजर से’ आई जो अब तक की उनकी पहली और आखिरी छपी पुस्तक रही। इसके इतर कई ऐसी पुस्तकें हैं जो छपने के इंतजार में हैं…जैसे ‘ये उन दिनों की बात है’, ‘आर्यन’, ‘जीवननामा’, ‘दक्षिण भारत की यात्रा’ आदी।
इसके अलावा ब्लॉग लिखना, पत्र-पत्रिकाओं में आलेख, कहानी एवं कविताएं आदी लगातार निकलती रहती हैं।
श्री राय के कार्यों के कारण ही सितम्बर २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में शामिल होने का न्यौता मिला।
२५ नवम्बर २०१८ को
The Indian Awaz
100 inspiring authors of India की तरफ से अश्विनी राय ‘अरुण’ को उनकी पुस्तक…
बिहार – एक आईने की नजर से, को विजेता घोषित कर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
२६ जनवरी २०१९ को
The Sprit Mania के द्वारा
‘बिहार एक आईने की नजर से’ को विजेता घोषित कर सम्मानित किया गया।
०३ फरवरी २०१९ को
Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी, बांग्ला एवं अंग्रेजी के भव्य साहित्यिक पर्व की भागीदारी के लिए सौहार्दपूर्वक आमंत्रित किया गया था जहां हिन्दी के विकास के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
१८ फरवरी २०१९ को ‘भोजपुरी विकास न्यास’ द्वारा भोजपुरी के विकास में सहयोग करने के कारण सम्मानित किया गया।
३१ मार्च २०१९ का एक गौरवमयी क्षण जब
स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड
(खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार) द्वारा एमीटी यूनिवर्सिटी कोलकाता के मुख्य सभागार में उन्हें दिया गया।
उनकी हिन्दी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
इस समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक शाखा ‘कुटुम्ब प्रबोधन’ की जिला टोली सदस्य हैं। ‘राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद’ का राष्ट्रीय सदस्य। ‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ का जिला संगठन मंत्री। ‘अखिल भारतीय साहित्य परिषद’ का सदस्य एवं ‘भोजपुरी विकास न्यास’ का न्यासी सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य।
Get book , “बिहार एक आईने की नजर से”
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है। आज के दिन ही सूर्योदय के साथ सृष्टि निर्माण कार्य का शुभारंभ परमात्मा ने किया था। अर्थात् इस दिन सृष्टि प्रारंभ हुई थी तब से यह गणना चली आ रही है।
यह नववर्ष किसी जाति, वर्ग, देश, संप्रदाय का नहीं है अपितु यह मानव मात्र का नववर्ष है। यह पर्व विशुद्ध रुप से भौगोलिक पर्व है। क्योकि प्राकृतिक दृष्टि से भी वृक्ष वनस्पति फूल पत्तियों में भी नयापन दिखाई देता है। वृक्षों में नई-नई कोपलें आती हैं। वसंत ऋतु का वर्चस्व चारों ओर दिखाई देता है। मनुष्य के शरीर में नया रक्त बनता है। हर जगह परिवर्तन एवं नयापन दिखाई पडता है। रवि की नई फसल घर में आने से कृषक के साथ संपूर्ण समाज प्रसन्नचित होता है।