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“लोग”

बड़े अजीब है लोग
सांप से लहराते हुए चलने वाले
बात बात पर
बात बदल बदल के बोलने वाले
लोगों के लिए आप
महज़ पीकदान हैं
आप पर थूक के चले जाते है लोग
जब वो आपको बहुत देर तक
चबा लेते हैं
आपसे बोलें तो आप
धोखा खा सकते हैं
क्योंकि वो देखने मे बिल्कुल
आप जैसे लगते है
आप जैसी आवाज
आपके ही शब्द भंगिमा चुराकर
वे आपसे ही छल कर जाते हैं
आपको आपकी ही बातों में
उलझा कर
फंसा देख खुश होते हैं वो
उनके पास अनेकों मुखोटे हैं
जिसे अलग अलग मौको पर
पहन के निकल पड़ते है
लोगों के बीच वे अजीब लोग
उनके पास न दिल है
न दया, न प्रेम है, न ज़िंदादिली
वे किसी के बारे में कुछ भी नही सोचते
वे किसी का कैसा भी अच्छा नही करते
वे साँप और गिरगिट की
हाइब्रिड सन्तान है
बचे रहिएगा
हर शरीफ इंसान की गर्दन पर
उनका ही निशान है

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