मन की विथा(व्यथा)कह जाती
भीगी पलकें,
साँसों का सरगम सुनाती भीगी
पलकें,
विछोह का दर्द झेलतीं भीगी
पलकें,
बिछड़ों को मिलवाती भीगी
पलकें,
लाखों दर्द छिपाये सीने में ये
भीगी पलकें,
अपनों का स्पर्श पा छलक आती ये भीगी पलकें,
पी का साथ पा भीग जाती ये पलकें,
उसके विरह में अश्रु गिराती ये भीगी पलकें,
स्नेहिल नीर से भीगी पलकें,
बिरहा की पीर से भीगी पलकें,
बाबुल के प्यार से भीगी पलकें,
माँ के दुलार से भीगी पलकें,
धरती माँ के दु:ख से गीली पलकें,
सैनिकों की वीरता से अभिभूत
ये भीगी पलकें,
ईश प्रेम में निमग्न ये भीगी पलकें,
दूसरों की सेवा में रत ये भीगी
पलकें,
ये मोती हैं अनमोल, इन्हें सहेज रखो,
व्यर्थ मत बहने दो सँभाल कर रखो ,
नहीं बनाती नारी को कमज़ोर ये
भीगी पलकें,
करती है तैयार मुक़ाबले को ये
भीगी पलकें,
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