आओ बच्चों तुम्हें सुनायें
छोटी सी एक रोचक कहानी
जिसको बचपन में सुनाती थी
हमको हमारी बूढ़ी वो नानी
गली के उस छोर पर था
आलीशान शानदार वो मकान
जिसमें रहता था कौन
इससे सभी थे एकदम अनजान
दिल कड़ा कर दबे पाँव अंदर चलो
कुछ न टोको कुछ न बोलो
ज़रा हम भी तो देखें
कौन है ये तीसमारखाँ
देखा,कहीं कुछ भी तो नहीं
ये तो है केवल हमारे मन का है
वहम
भूत जैसा कोई नहीं
किरदार इस जहाँ में अहम
यह कोई नया विक्रम तो नहीं
जिसका बेताल लटक गया है यहीं
कहानी का सही हल बताओ
बेताल को उसका रस्ता दिखाओ
इस डर को फटकार लगाओ
अंधविश्वास को पलने मत दो
फ़न उसका बेरहमी से कुचल कर
तुम ख़ुद को आगे बढ़ने दो
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