अंदर है अन्धकार का सागर,
रोशन दिखता जमाना है,
जगमग जगमग दिप जलाकर, उत्सव मुझे मनाना है।
रोशनी कर दूँ हृदय में,
सत्य के प्रकाश की,
असत्य रूपी अन्धकार को,
मुझे आज मिटाना है।
झिलमिल रोशन दिप जलाकर , उत्सव मुझे मनाना है।
मानवता यू बोझिल सी है, बोझ दिलों पे आया है।
सच्चाई का बोध कराकर, तम से मुक्ति पाना है।
दिया तले परछाई हटाकर, उत्सव मुझे मनाना है।
किसी अंधेरी को रोशन करना, ये भी उत्सव मनाना है।
जगमग झिलमिल दिप जलाकर, उत्सव मुझे मनाना है।
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