#UBI #Valentinesday
जो गढ़ रहे हों वो ,
गढ़े परिभाषाएँ प्रेम की
मैं तो मांगू ये दुआ
हर पल तेरे साथ रहूँ मैं
मन मेरा कस्तूरी हुआ
मृग बन उछाले मारु मैं
मन मेरा स्वाति बूँद हुआ
पीहू बन गगन निहारु मैं
मन मेरा तेरा हुआ
बिन ताल के नाचूँ मैं
बने कोई कहानी
तू डली मिश्रि कि
निर्मल पानी सा मैं
मुझ में तू घुल जाये
तो बन जाए कहानी
चुराई तूने नींदे रतियन की
रंग इंद्रधनुष मन मेरा ललचाये
रंग चाहतो सा बने ख्वाब नूरानी
समझे ना कोई
तू ही जाने या मैं जानूँ
यारा बतियाँ हिय की
ये दुनिया है बेगानी
अहसास हुआ तुमसे मिल के
ज़िन्दगी कम है मुहब्बत कर के
तू मुझे कुबूल हर जन्म में
बस मेरा प्यार याद रखना
तू मुझे कुबूल हर लम्हे में
बस मेरे हाथों में अपना हाथ रखना
मै जी रहा हूँ बस तेरे लिए तुम
जिदंगी की मेरी दुआयें करना
जबसे देखा हैं नजरों ने तुझे
इनको कुछ भी
और नज़र आता नहीं
ना जाने कैसा किया हैं जादू
कोई और चेहरा भाता नहीं
तेरा मेरा रिश्ता इतना खूबसूरत है
तुम सोच नही सकते
हम बता नही सकते
~✍🏻’अमित’
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.