मैं और मेरी तन्हाई
आज के इस दौर में
मैं और मेरी तन्हाई कहीं खो से गए हैं
हम ना एक दूसरे के साथ हैं
ना एक दूसरे के साथ हैं
ना एक दूसरे से कुछ बातें करते हैं आजकल ।
हर तरफ़ शोरगुल है, आवा-जाही हैं
हर तरफ चेहरे हैं, आवाज़ें हैं ,
उन सब चेहरों और आवाज़ों में
मेरी तन्हाई की आवाज़,
कहीं खो सी गई है ।
आज मेरा मैं कहीं अपने आप को
पाना चाहता है, फिर से जानना चाहता है
आज मेरा मैं अपने आप से और,
अपनी तन्हाई से , फिर से
बातें करना चाहता है ।
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1 Comments on “मैं और मेरी तन्हाई”
Great content! Super high-quality! Keep it up! 🙂