आंसू जो बेह गए वे अपने ना थे,
जो पलकों पर ठहर गए वही तो सच्चे साथी थे।
भीगी पलकों पर सजे ये वो मोती हैं,
जो अमूल्य हैं और सुख-दुःख के गवाह हैं।
बीते पलों कि याद दिलाती हैं,
अकसर ये भीगी पलकें हमें हमसे मिलाती हैं।
खिलखिलाती आंखों और दुखते दिल को सहारा देती हैं,
ये भीगी पलकें आंसुओ कि सच्ची सहेली होती हैं।
कई बार दर्द बर्दाश्त कर लेता है मन,
बस,पलकों को भिगो कर एक ऊबार सा रोक लेता है मन।
इन भीगी पलकों को पोछ, खुश हो जाते हैं हम,
अकसर दर्द सेह कर, इन भीगी पलकों पर बोझ बन जाते हैं हम।
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One Comment on “मयूरी गर्ग (UBI भीगी पलकें प्रतियोगिता | सहभागिता प्रमाण पत्र )”
सुंदर भाव 👌