आज मौसम था सुहाना,बारिश भी कुछ जुदा थी
तेरी कातिल जवानी, कमसिन हर अदा थी||
उधर बरसता रहा सावन,इधर बरसता तेरा यौवन
तुझे छूने की मेरी हसरत, भीग रही सदा थी||
इशारे, वो इरादे, (फिर)..आँखें झुकाकर हँस देना
मेरी नज़र में.. मेरी नज़र में तेरी, हर एक अदा थी||
गुलाबी गाल, घने बाल, सुर्ख होठों पे शबाब
इस रूप पर मेरी, हर हसरत फ़िदा थी||
सखियों से चुपके, देखना,फिर बहाने बनाना
‘ *साहिब* ‘ तेरे यार की, क्या खूब अदा थी||
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