बच्चों, देखो कुदरत की चित्रकारी
रंगा नीला आकाश
बनाया धरती प्यारी
पर्वत झरना बहती नदियाँ
और बागों में ‘खिलती कलियाँ ‘
खिलती कलियाँ बन जाती है
रंग बिरंगे सुन्दर सुगंधित फूल
ना भूलों फूलों संग भी होते शूल
खिलती कलियाँ देती यही स॔देश
बच्चों,जीवन में होते साथ खुशियों और क्लेश
बहार जायेगी पतझड़ आयेगा
कलियाँ कुम्हलायेगीं फूल मुरझायेगा
शाखों से टूट धूल में मिल जायेगा
बच्चों, फिर नया बसंत आयेगा
चारों ओर खुशियाँ फैलायेगा
खिलाती कलियाँ फिर मुस्कुरायेगीं
आगे बढ़ने का संदेश दे जायेगीं
बिन मेहनत कुछ न हाथ आयेगा
समय यूँ ही निकालता जायेगा
बच्चों, समय के साथ चलो जीवन सफ़ल हो जायेगा
यह मेरी मूल, अप्रकाशित,व स्वलिखित रचना है।
दिनेश चन्द्रा
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