आभासी मित्र
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दिल के बहुत करीब हो मित्र, लेकिन कभी हम मिले नहीं ।
पहचानता हूं तुम्हें फोटो में, लेकिन कभी सामने दिखे नहीं ।।
हमें एहसास है,एक दूसरे के दिलों में बसे हैं …..।
आभासी मित्र की कोई बात आपस में छिपे नहीं ।।
दिल के बहुत करीब …
हमारी एक अलग दुनिया है,तेरे लिए बेक़रारी बार बार बार है ।
हमारी लाइक, डिसलाइक, कमेन्ट में ही प्यार है ।।
जाति, धर्म की ना कोई दीवार है।
आभासी मित्र में बेवफाई कभी दिखें नहीं ।।
दिल के बहुत करीब …
ना देश की सीमायें रोक सकी, ना उम्र का अन्तर टोक सका।
यह मित्र पास का हो, या सात समंदर पार का।।
उसकी दुआओं में गज़ब का असर है।
आभासी मित्र के हाथ जब उठे तो रहमत बरसी, कभी खुशियों से महरूम रहे नहीं ।।
दिल के बहुत करीब ….
यह मेरी कविता मूल, अप्रकाशित व स्वरचित है ।
दिनेश चन्द्रा
वाराणसी
उत्तर प्रदेश
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