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डॉ शैलबाला दाश (धन्यवाद २०१९ | सम्मान पत्र)

ए मेरे गुज़रे कल,
समय है और थोड़े से पल।
समय का सूरज में अब आया ढल।
बिदायी का यह जो दुखद पल।
रोउं या हँसु करके कपट छल!
नये सालों को स्वागत करना सिर्फ एक बहाना।
तुम्हें विदाय करने में जैसे न आया रोना।
कुछ सुखद पल,कुछ है भी दुखद।
कुछ है भावावेग ,कुछ करे गदगद।
कभी एकान्त में आंखे हुए थे नम।
कभी सताता था बेहद गम।
ये सब में तुमने ही तो साथ दिया।
समय कभी हंसाया,कभी यह रुलाया।
कल तक तुमने ही तो साथ निभाया।
पंचांग पलटता है, मैं कैसे पलटुं?
स्मृतियों की मोतियों को कैसे न समेटुं?
है पूँजी ये मेरी सारी जीवन की संचय।
न मिटा पाउं,न कर पाउंगी अपचय।
धन्यवाद देने को जी झिझकता है।
न दें यह भी तो नहीं हो सकता है।
विदाय 2019, लो मेरा प्रणाम।
आओ नयी वेशभुषा में लेकर नया पैगाम।

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