जिंदगी हमारी भी
सुख और दुख में
ढलती और बदलती
कभी दुखों भरी अंधेरी
अमावस की रात
कभी सुखों की
रात पूर्णिमा की
चांदनी से चमकती
कभी धीरे धीरे दुख कम होते
कभी धीरे धीरे सुख ढलते
चंद्रमा की तरह रुख बदलते है
दिन जिन्दगी के
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 1 / 5. Vote count: 2
No votes so far! Be the first to rate this post.
7 Comments on “चंद्रमा की तरह”
Thank you so much Editorial team of UBI
Bahut khoob shandar
Thanks
बहत सुन्दर।
Thanks a lot Kiran ji
सुन्दर रचना 👌👌
हृदय से आभार