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कमला मूलानी। (विधा : कविता) (सुनहरी छतरी | सम्मान पत्र)

सुनहरे भविष्य की सुनहरी छतरी
सिर पर सोहे जैसे रंगीन पगड़ी
नित नूतन सपने ये है सजाती
दूर जो मंजिल उसे पास ले आती
सपने मेरे हैं सुनहरे रंग सतरंगी
पंख कल्पना के आकाश ले जाती
ऊंची उड़ान भरें सजा स्वप्निल संसार
बैठ जमीन पर ताकते हैं नील गगन
भविष्य है मुठ्ठी में,देख सुनहरे सपने
खून पसीना मिलाया जो है इसमें
मेहनत मिले जितनी सुनहरा होता
रंग सुनहरा कितना खिला तान छतरी
स्वप्न साकार हुए मेरे पाकर छात्रवृति
हूं गरीब पैसे से,अमीर हैं पर सपने मेरे
उच्च शिक्षा पाकर किये साकार सपने
काम करूं देश हित में,साथ लिए सबका
भविष्य संवारू जन मन का सुनहरा सपना
सोने सा चमके मेरा गगन चांदी सी हो धरा
तान सुनहरी छतरी सुनहरे सपनों की छाए छटा।

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