मनुष्य का जीवन मिला है
धन्य इसको आज कर लें
आए हैं इस जगत में
तो माया से पहचान कर लें
वृक्ष,सलिला,संत जन
से
सीख लें उपकार भाषा
सब यहीं रह जाएगा
बस इसी पर ध्यान कर लें।
नाते ,रिश्ते और संपदा
मोह में हम गिर न जाएँ
अंश हैं हम सब उसी के
सर्वगुण सम्पन्न जो हैं
एक ईश्वर के हैं हम सब
बात को इतनी समझ लें जीवन का आनंद है
यह कर्तव्य पथ पर
बढ़ते जाएँ
निष्काम हो यदि
भावना तो फल भी
मिल ही जाएगा
अपेक्षा और उपेक्षा
का त्याग हम सब
आज कर लें।
हर बात में हम खुशी
ढूँढे
जीवन ही आनंद है।
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1 Comments on “उर्मिला मेहता । (विधा : कविता) (जीवन – आनंद | प्रशंसा पत्र )”
Thank you very much Sapna ji for Certificate.