पतझड़ का प्यार
जीवन- बसंत में थामा था जब हाथ, सोचा न था,
हर मौसम में फलता फूलता यह रिश्ता इतना मजबूत होगा।
ताउम्र का सुकूँ, भरोसा, ताकत बन हमारी जिंदगी बदल देगा ।
समय के बदलते रूप पर बिन घबराए साथ चलते रहें,
कभी दौड़े, कभी धीमी गति से सफर तय करते रहे,
ढलते उम्र में आपसी प्यार की मजबूती बनाए रखी
कुछ भी बिगाड़ा नहीं, अपना रिश्ता संभाल कर रखा ,
जीवन- पतझड़ में भी हमारा प्रेम पूर्णतः बासंती है।
जिम्मेदारियां ख़त्म हुई अब पुनः परस्पर के लिए जियेंगे,
झूठे अहं को दरकिनार रख हर स्थिति में सहारा बनेगें
बिना किसी अपेक्षाओं के जितना हो प्यार बांटते जाएंगे
चिरंजीवी यह बंधन, मन – बागीचे में यादों के पुष्प खिलाएँगे,
छूटेगा जब साथ, गुलजार उपवन में फूल बन महकते रहेंगे।
आराधना अग्रवाल
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.