अभी दस दिन पहले मेरी नातिन हुयी. अपने बच्चों की पैदाईश भर याद रही लालन पालन व कर्तव्य निर्वहन में ध्यान हि नही रहा सब कब बडेहुये आज अपनी सडसठ साल की उमर मे पैंतालसवी सालगिरह पर जन्मदिन परमुझे ये सौगात मिली उसकी हरकत व हाव भाव के आनंद को शब्दों मे बांधने की कोशिश।
मन नाच उठा.
मयूर बन.।
कृति ईश की
अचंभिता सी.
निहारती अपलक.
चारों ओर.
मृगनयनी सी।
दौडता मन.
कहां आ गयी।
कैसा होगा जीवन
जन्मदात्री की मुस्कान
पहचानती जनक के भाव.
संतुष्टि के भाव चेहरे पे
चुप चाप अवलोकित
ये नवांकुर ।
हर्षित मन आंगन
आनंदित धरा गगन.!
उल्लासित खुशबू हर ओर
सदा देना प्रभु इन्हें खुशियों की भोर.
आपके अनुग्रह प्यार की अनुगूंज का.
सदा रहे ओरछोर!
अलका शुक्ला।
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1 Comments on “अलका शुक्ला। (विधा : कविता) (जीवन – आनंद | सम्मान पत्र)”
Aap apni beti or naatin ki vishesh khayaal rahein. 😁😁🙏🙏