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अरुणा शर्मा (UBI सावन की पुकार प्रतियोगिता | सहभागिता प्रमाण पत्र)

सावन की फ़ुहार, मद-मस्त करे ये बहार।

 

टिप-टिप,टिप-टिप,करे है बूंदें पुकार।

 

“प्यासी धरा समेट ले,गोद में हमें एक बार।

 

नूपुर-सी झंकार से,हृदय में भर देंगी हम,ख़ुशी अपार।”

 

ये सावन-भादौ के रंगीं महीने।

 

हर दिल रचे,इन पर क़सीदे सुहाने।

 

बहारों की झड़ियाँ,खुशी की ये लड़ियाँ।

 

मिलेंगी अब कैसे??ये झमाझम की झड़ियाँ।

 

ये मिट्टी,ये बारिश,ये पेड़ों पर पँछी।

 

हमसे करे है ये क्यूँ आज विनती??

 

“ज़रा-सा रखो तुम अगर ध्यान हमारा।

 

ना भूलेंगे हम,होगा उपकार तुम्हारा।

 

लोगे हमेशा,साँसें तुम खुलकर।

 

जीने दो हमको,जियो तुम भी खुलकर।

 

कर देंगे हम जीवन,शुभ और लाभकर।”

 

चलो!अबके सावन को हम सब रिझायें।

 

बरखा को रानी कहकर बुलायें।

 

स्वच्छ रखकर धरा को,वृक्षों से सजाकर।

 

पानी बचाकर,प्यास किसी की बुझाकर।

 

ले आँखों में थोड़ा पश्चाताप का पानी।

 

चलो,अबके लिखें हम नई एक कहानी।

 

आएगा सावन उमड़ कर घुमड़ कर।

 

बरसेगा ज़ोरों से,फिर वो भी जमकर।

 

चलो!अबके सावन को हम सब रिझायें।

 

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