सपने देखे
बढ़ाई ख्वाहिशें
ख़्वाब टूटे
ज़िंदा हौसले
स्वयं से लड़े
प्रयत्न किये
बुद्धि खनकी
सिक्के गिने
उम्र फिसली
तजुर्बे बढ़े
हाल ए दिल
ना मंजर बदले
हर साल बस
कैलेंडर बदले
मन भर मरे
छक कर जिये
साल गया
कुछ ना किये…!!
न कोई रंज
पास आऐ
ईश्वर करे
ये साल रास आऐ….!!
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