सावन की आवन सखी सबको दी सौगात!
बनके सपना जी उठा, सावन सबके साथ!!
अब और सूना ना रहे, वो पनघट वो घाट!
पनिहारिन पानी भरें, छन-छन गूँजे बाट !!
ऐ बदरी इतना बरस, बढ जाएं जग के ठाठ।
कर देना मेरे आंगना अपना रीता माठ।।
सावनी राखी आ रही , बहन भाई का साथ
अबके सूना ना रहे, किसी भाई का हाथ ।।।
री बदरी बाबुल घरे, लिये संदेसा जा!
हिय में पिय सावन बसे ठूंठ डार हरियात।।