कुर्बान झाँसी वाली रानी भी हुई ,आम बहू व बेटी भी हुई
बकासुर का वध करने को ,आदिशक्ति दुर्गा व काली भी हुई
माँ को पूजता है, राखी को निभाता है
देवता जो 84 करोंड़ हैं ,जागरण देवी का कराता है ?
फिर क्यूँ असुर बनकर? मानहनन तू करता है
विश्वास की चूनर उढ़ाकर ,वार पीछे से करता है
चूड़ी से सजे हाथों के, पल में टुकड़े तू करता है
बहन है तेरी भी ,क्यों फिर किसी को”निर्भया”तू करता है ?
क्या पाया है तूने हवा में ज़हर ?
जो साँस लेता है तू ,ढाने को किसी के संसार पे कहर
सँवरे भी ना ,थिरके भी ना ,घर से अकेले वो निकले भी ना
ये बंदिशें तूने अपने, घर भी लगाई हैं ना?
कभी माँ के डाँटने पर दराँती से जीभ उड़ाई है क्या ?
देवी के चरणों में किसी मासूम की भेंट चढ़ाई है क्या ?
खुश तो बहुत होगा तू ,गिराकर तेजाब हज़ारों पे
इतिहास भी शर्म से सिर झुकाता है ,नाम आने पर खिलजी ,औरंगजेब और बाबर के
जो मिट्टी हो जाता है सरहद पर ,बचाने को साख़ तेरी मेरी
जो भाई है, पिता है, मामा है, सखा भी
तिरंगे में लिपट कर माँ को बचाता है जो
“पुरुष “कहलाता है वो
ओ कठुआ ,हाथरस आदि को जलाने वाले 😡
बचपन गुड्डी का कोयला बनाकर ,राख को उसकी लगाने वाले
रंग दिया तूने अपने जैसे कितनों को ,हैवानगी की कालिख मिलाकर
तुझे किसी के खून से तिलक सजाकर,अपने नाम पे काला धब्बा लगाकर
क्या मिला खुद फांसी का फंदा बनाकर ,अपने लिए नर्क बनानेवाले??
स्वरचित
#स्वातिगर्ग
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 1 / 5. Vote count: 1
No votes so far! Be the first to rate this post.
One Comment on “स्वाति गर्ग। (विधा : कविता) (काला धब्बा | सम्मान पत्र)”
क्या बात है स्वाती जी! बहुत बहुत सुंदर 👍👌😊😊🌺🌺 हार्दिक बधाई 🌺🌺🏵️🏵️