Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

सुशीला गंगवानी। (विधा : लघुकथा ) (जीवन – आनंद | प्रशंसा पत्र )

मैं सुजाता अपने बच्चों और पति के साथ एक छोटे से शहर में रहती हुं। हम चार बहनें हैं जो सभी अपने अपने ससुराल में अपने जीवन में व्यस्त हैं।मायके में अब  बाबूजी चाचा चाची उनके बच्चे मिलाकर हरा भरा परिवार है मेरा।बाबूजी को पढ़ने का बहुत शौक था और संगीत में भी काफी रुचि रही उनकी ज़िदंगी संगीत की दुनिया में ही बीती वोह बहुत अच्छे गायक थे यहां थे इसी लिए कहना पड़ा कि अब उनकी उम्र पचहत्तर साल की हो गई है तो वो इतना ना गा सकते है ना ही अपनी कुछ प्रवृत्ति कर सकते है।हालांकि वोह मेरे चाचा जी के घर पर ही उनके साथ रहते है।मां के गुज़र जाने के बाद वोह अपने आप को बहुत ही अकेला महसूस करने लगे हैं।कुछ दिनों पहले हमने उनको अपने घर बुलाया है अब थोड़े समय के लिए वोह यहां है ताकि उनको थोड़ा अलग वातावरण मिले और वोह खुश रह सकें।उनके आने से मेरे बच्चे बहुत आनंदित हो गए हैं अक्सर शाम को खाली समय होते ही नानाजी की पुराने ज़माने की बातें सुनते रहते हैं और अपने बारे में भी कुछ ना कुछ बातें  बांटते रहते हैं।बाबूजी की मनपसंद चीजें बनाकर उनको हम खिलाते है तो वोह बहुत भाव विभोर हो जातें है।अभी कुछ दिनों पहले उनका जन्म दिन था तब हमने परिवार में साथ मिलकर कुछ अलग तरीके से मनाया जो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था बच्चों के दोस्त जो कि सभी आर्टिस्ट लोग उनको मिलने और बधाई देने आए थे उनको देखकर बाबूजी बहुत प्रसन्न हुए और सच्ची में रो पड़े क्यूं की काफी अरसे बाद उनको ऐसा माहौल मिल पाया था जिसकी वोह कई दिनों से झंखना करते थे।आखिर बड़े बुज़ुर्ग लोगों को और चाहिए भी क्या होता है यही ना कि कोई उनकी बात अच्छे से सुने और कम से कम उनके साथ अच्छे से बात की जाए उनके चेहरे के हाव भाव देखकर मुझे बहुत सुकून मिल रहा था यही तो है छोटी छोटी खुशियां जो हमारे जीवन को आनंद से भर देती है.

 

मौलिक-स्वरचित

सुशीला गंगवानी

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave a Comment

×

Hello!

Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com

× How can I help you?