अक्सर हम सुनते आए हैं
आनंद जीवन का है हमारे भीतर ही
बस हमे खोजना है
थोड़ा मुश्किल पर सही
जब खुद से खुद को ढूंढ पाएंगे
तब ही आनंदित हो पाएंगे
मेरे लिए अपने बच्चो की खुशी
और चित्त की शांति
मन हल्का होगा तभी चित्त शान्त होगा
और
विकारों से धीरे धीरे पीछा छुड़ाते हुए
अध्यात्म की राह पर अग्रसर होना
राह है जीवन आनन्द प्राप्ति की यही
– सुनीता कत्याल
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