नाकामयाबी ग्रहण सी है होती,
बस चंद लम्हो की मेहमान,
न चुरा पाएगी उस हुनर को,
रोशन होता जो सूरज के समान।।
©श्वेता प्रकाश कुकरेजा
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नाकामयाबी ग्रहण सी है होती,
बस चंद लम्हो की मेहमान,
न चुरा पाएगी उस हुनर को,
रोशन होता जो सूरज के समान।।
©श्वेता प्रकाश कुकरेजा
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