.*तेरी इंसानियत का हश्र*
तेरी रूह को नेस्तनाबूत कर के कई बार खंजर घोपे जाएंगे।
दुश्मनों से क्या खौफ तुझे
ये तेरे अपने है तुझे जीते जी दफना के आएंगे।
तू सिर्फ , तू सिर्फ इक तेरी कमजोरी तो बता उन्हें।
उसी कमजोरी को हथियार बना कर , एक दिन वो तेरी जान लेने आएंगे।
जमाने का दस्तूर है ये…
जिस दिन तू सबसे ज्यादा टूटा हुआ होगा , उसी दिन तेरी अस्मत को तार तार कर देने आएंगे।
तेरी रूह को नेस्तनाबूत कर के कई बार खंजर घोपे जाएंगे।
दुश्मनों से क्या खौफ तुझे
ये तेरे अपने है तुझे जीते जी दफना के आएंगे।
~शिप्रा अभ्यंकर~
1 Comment
Wah bohot khub farmaya !