न्याय की देवी को कभी न इतना लाचार देखा
आँखों पर बाँध पट्टी उसने सिर्फ अंधकार देखा
उसकी तराज़ू में तुलता गुण -अवगुण
काँटे को गलत झुकते बार बार देखा
झूठ का ही बोल बाला होता चला
सत्यमेव जयते को न होते साकार देखा
निर्भया , गुड़िया, दिशा ने दे दी जीवन आहुति
उनके आत्मसम्मान को होते तार तार देखा
पैदा होते गये हर रोज़ अन्याय के राक्षस
अबकी बार न जन्म लेता कोई न्याय का अवतार देखा
बेचारगी , लाचारी , भुखमरी में जीता है न्याय,नगमा
न्याय का ही हर रोज़ होते बलात्कार देखा !!
©️ललिता वैतीश्वरन ‘नगमा’
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