मधुमास की आहट हुई,सतरंगी दुनिया जवान होने को थी।एक कली चटक गयी गुलाब की डाली पर उसी के साथ उभर आया था एक कांटा भी।सुंदरता का खजाना लिए कली ने पंखुड़ियाँ खोली तो पाया कि हर नजर में उसकी खूबसूरती बसी है।उसने आत्ममुग्ध होकर आँखें बन्द कर ली।कांटे ने उसे पुकारा देख सुबह की लाली छायी है पर उसने आँखें ना खोली,सूरज ने अपनी नेमतें बिखेरी ,सांझ का झुरमुटा आया,सुहानी रात में चांदनी की खनक इठलाई,सितारों ने जगमगाते खजाने खोले,चारों तरफ महक का जादू फैला पर फूल ने अपनी गर्वोन्नमत्त आँखें बन्द ही रखी।हार कर कांटा चुप हो गया।फिर एक दिन फूल की पंखुड़ियां मुरझाने लगी,एक एक कर गिरने लगी।फूल कराह उठा।हैरान हो कर इधर उधर देखने लगा।पर किसी ने उसे नहीं देखा।उसने पनीली आँखें लिए कांटे को देखा और ढल गया डाली से नीचे की ओर।कांटा उदास हो गया।सभी ने कहा बहुत खूबसूरत था वो,पर कांटा निराश हो कर बुदबुदाया”खूबसूरती सजा है।”
भावना शर्मा
स्वरचित अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित
4 Comments on “लघुकथा खूबसूरती”
Nice
बहुत अच्छा है
Are waah
Thank you