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रीता बधवार। (विधा : कविता) (दादी नानी की कहानियाँ | प्रशंसा पत्र)

मैंने नहीं सुनी दादी-नानी की रोचक कहानियाँ,
जो कुछ भी सुना वो अपनी माँ की ज़ुबानियाँ,
मैंने कभी उन्हें देखा नहीं,जाना नहीं,सुना नहीं,
हसरत ही रही दिल में कि उन्हें पहचाना नहीं,

माँ का दादी-नानी का रूप देखा,
पोते पोतियों,नाती नातिनों को दुलराते देखा,
मेरे अपने बच्चों को गोदी में उठाते देखा,
उनके सिर पर प्यार से हाथ फ़िराते देखा,

आज मैं ख़ुद भी हूँ किसी की दादी-नानी,
मैंने भी उन्हें गोद में सुलाकर सुनायी है कहानी ,
रोने पर गाने गा-गाकर चुप कराया है,
भूख लगने पर मनपसंद खाना बनाकर खिलाया है,

हम सब आजकल की ‘मॉडर्न’नानी दादी हैं,
जो उनकी पढ़ाई के प्रेशर्स व सीकरेट्स की फ़रियादी हैं,
आइये इन किशोर नौजवानों का मनोबल बनें,
उनके सुनहरे भविष्य का सशक्त संबल बनें,

@रीता बधवार

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