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राशी रेनवाल। (विधा : आलेख) (एक दुल्हन के सपने | प्रशंसा पत्र)

एक लड़की पलो में औरत बन जाती है । किसी की बेटी से किसी की बहु बन जाती है । किसी की बहन से किसी की भाभी बन जाती है । और सबसे अहम वो किसी की पत्नी बन जाती है । अब तक जिसे किसी भी चीज़ की चिंता नहीं थी अब उसे दो घरों को साथ लेकर चलना होगा । दोनो घर की इज़्ज़त का ख़याल रखना होगा । अपने ससुराल वालों को हमेशा ख़ुश रखना होगा जिससे ससुराल में उसकी इज़्ज़त बनी रहे ।शादी के समय उसके मन में दो विपरीत विचार उत्पन्न हो रहे होते है । वो ख़ुशी भी होती है और दुखी भी । ख़ुशी इसकी की अब वो एक नया जीवन चालू करने जा रही है और दुःख इस्स बात का की अब वो अपने ही घर में मेहमान बन कर आएगी |हर लड़की चाहती है की जो उसका ससुराल हो वो उसके मायके जैसा हो । जैसा प्यार उसे उसके मायके में मिलता है वैसा ही प्यार उसे उसके ससुराल में भी मिले । उसकी सास उसे अपनी बहु के रूप में नहीं अपनी बेटी के रूप में देखे , अपनी बेटी समझ कर उसे प्यार करे। उसका पति उसे बहुत प्यार करे , उसे समझे उसकी मुश्किलों में उसका साथ दे , उसका आदर करे , और सबसे ज़रूरी जब वो नयी नयी शादी करके आती है तो घर के लोगों को समझने में उसका साथ दे , उसे सबकी पसंदी और नपसंदी के बारे ने बताए जिससे वो अपने ससुराल वालों को अपना बना ले । हर लड़की अपने होने वाले पति में अपने पिता को देखती है । जैसे उसके पिता उसकी देखभाल करते है वैसे ही उसका पति भी उसकी देखभाल करे । बस इतना ही चाहती है वह अपने नए परिवार से|

©️राशी रेनवाल

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