___विधा -कविता__________
अभिलाषा—-
अतृप्त, असीमित, अपरिमित, आकांक्षाओं , अभिलाषाओं की अभिव्यक्ति है_ सपनों की उड़ान
_______________________
अनंत, अनियमित असंभव कल्पना-लोक में विचरण कराती ये उड़ान,——
मैंने भी स्वप्न में परी रूप में
नभ में भर ली इक उड़ान,
देखा धरती और गगन का हो रहा मिलन
गगन कर रहा धरती का आलिंगन
प्रेम-रस से सराबोर उनका तन-मन
इंद्रधनुषी फूलों से सजा मिलन मंडप
धरती मस्तक पर लगा कर चांद का टीका ,
ओढ़े चुनर झिलमिल सितारों की
लजाती शरमाती सी बन दुल्हन
कर रही गगन का वरण,
मीन करतीं अठखेलियां सहेलियों समान
बाबा भास्कर करते अपनी कन्या का दान,
पंछियों का कलरव ,भौंरों का गुंजन स्वागत गान——–
अचानक भंग हो गया स्वप्न–
सोचती मैं!!!
क्या अपनी धरा का भी होगा प्रेम अलंकरण?
हर नारी होगी राधा,
हर नर होगा मदन मोहन?
घर-घर होगा वृंदावन?
है ,क्या ये आगामी काल का पूर्वानुमान?
( स्वरचित)