उत्सव और पर्व भारतीयता की विशिष्ट पहचान है। वर्ष-पर्यंत हम किसी न किसी रूप में उत्सव मनाते
ही रहते हैं ,जिनसे लोक कथाएं, धार्मिक कथाएं, राष्ट्र से संबंधित घटनाएं जुड़ी रहती हैं।इन उत्सवों का आज के संदर्भ में विशेष महत्व है। वो खुशी कैसी जब पड़ोस में अंधेरा हो? वो उत्सव कैसा जो सब मिल-जुलकर न मनाएं?
क्यों न हम मिल-जुलकर कर प्रेम से उत्सव मनाएं,
झिलमिलाती दीपमाला से सबके घरों को रोशन करें?
प्रेम के रंगों से सबको सराबोर करें
और प्रेम – रस से भरी गुझिया और
सिवइयां मिल बांट कर खाएं।
चलो मिल जुलकर हम उत्सव मनाएं। किसी वृद्ध और असहाय
का सहारा बनें उसके घर में खुशियों के दीप जलाएं। उसके चेहरे पर भी मुस्कराहट लाएं। किसी गरीब के घर – आंगन को रोशन करें। चलो हम सब मिलकर उत्सव मनाएं।
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.