UBI साप्ताहिक प्रतियोगिता हिंदी #१८
भीगी पलकें में प्रस्तुत कविता
कभी तेरे प्यार में भीगीं पलकें
कभी तेरे इकरार में भीगीं पलकें
बस राह पर रही टकटकी लगाए
हर दरों दीवार पर जुगत गड़ाए
प्रियतम के इंतजार में भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार…..
कभी नीहारती सँवारती घर को बुहारती
दाँव लगाती फिर झुक जाती
आलिंगन के इज़हार में भीगी पलकें
कभी तेरे प्यार….
कभी टुक़ुर टुक़ुर देखती हौले से हँसती
उतरती हया धरती में गड़ जाती
शाम ए बेक़रार में भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार…..
कभी सपने देखती क़िस्से सुनातीं
टिक जाती कहीं या आर पार चली जाती
कभी मिलन कभी मनुहार में भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार
कभी लाल रंग कभी गुलाबी रंग धरा
चोर बन जाती या बन जाती चंचला
कभी धुँध कभी बहार में भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार…..
कभी बरसात सी कभी बाढ़ सी
दूरियाँ बनाती फिर बन्धन प्रगाढ़ सी
तेरी दहलीज़ तेरे द्वार पर भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार ….,
दुःखों के दरियाँ में या सुखों के सागर में
भरे हुए दिल में छलकती गागर में
बस नज़रों के व्यापार में भीगीं पलकें
कभी तेरे प्यार …
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4 Comments on “मीनाक्षी जैन (UBI भीगी पलकें प्रतियोगिता | प्रशंसा पत्र (कविता))”
bohot khoobsurat panktiya..
भावनाओं को शब्दों मे पिरो कर प्रस्तुत की गई पंक्तियाँ👌👌
Behad khubsurat tareeke se piroye shabd
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति