“लोरी की भूख”
वो हर रात अपने बच्चे को लोरी सुनाती थी, जिसे सुनकर बच्चा आराम से सो जाता था। रोज़ की तरह आज भी एक ही वक्त का खाना जुटा सकी थी वो। दूसरे पहर का गुज़ारा पानी और लोरी के साथ ही करना था। हमेशा की तरह खुद और बच्चे को पानी पिलाकर वो बच्चे को अपनी बाँहों में लेकर लेटी। लेकिन थोड़ी ही देर बाद बच्चे की रोने की आवाज़ आई। लोरी सुनाने वाली आज खुद ही एक गहरी नींद सो चुकी थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि बच्चा भूख से रो रहा था या कि लोरी सुनने के लिए।
Copyright ©मनप्रीत(बोस्की)
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