Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

बच्चों को किताबें दीजिए

विश्व पुस्तक दिवस जोकि मार्च 4 2021 को था , उसके संदर्भ में मैं अपना आलेख साँझा करना चाहती हूँ ।

🖋 बच्चों को किताबें दीजिए 🖋

मैं पिछले 22 वर्षों से एक शिक्षिका के रूप में कार्यरत हूँ ।अपने निजी और शिक्षक जीवन के अनुभव के आधार पर एक लेख साँझा करना चाहती हूँ । आशा है आप सभी को इसमें छिपे संदेश से सहमत होंगे ।
आज मेरे लिखने का उद्देश्य इस विषय पर रोशनी डालना है कि बच्चे ख़ासकर छोटे बच्चों की मानसिक और कल्पना शक्ति का विकास तब बेहतर हो सकता है जब वो कहानियाँ किताबों से पढ़े या सुने ।
आज से कुछ बरस पहले बच्चे किताबों से कहानियाँ पढ़ते थे ।
हम सब भी किताबों से ही पढ़कर और सीखकर बड़े हुए हैं ।
जैसे कि कहानी में किरदार और घटनाएँ होती है ।
जब बच्चा पढ़ता है कि एक राजा था , एक रानी थी , एक परी या एक दानव था तो जैसे जैसे कहानी पढ़ता है वो अपने मानसपटल पर चित्र बनाता जाता है । एक चलचित्र चल पड़ता है जिसमें हर एक किरदार ,हर एक घटना बच्चा अपनी कल्पना के अनुसार ढालता है ।
लेकिन वही कहानी यदि बच्चे TV पर देखेंगे तो उनकी कल्पना एक ही दायरे में क़ैद होकर रह जाएगी । वही कहानी अगर बच्चे किताब से पढ़ेंगे फिर उनको चित्र बनाने को कहे जाएँगे तो कल्पना के अलग रूप देखने को मिलेंगे । जब TV पर वही कहानी देखते है तो हमारी कल्पना शक्ति की इन्द्रिय इतनी सक्रिय नहीं हो पाती। जो चेतना मन को एक पाठक के रूप में मिलती है वो असक्रिय दर्शक के रूप में मिल पाना सम्भव नहीं ।
कहानी को किताब से पढ़ने से बालमन को कल्पना के पर मिल जाते हैं , उसकी सोचने , समझने और महसूस करने की शक्ति प्रखर हो जाती है ।
मेरे अनुसार बच्चों को किताबें दीजिए कहानियाँ पढ़ने के लिए ताकि उन्हें किताबों से प्यार हो और वो कल्पना और सत्य के दरमियाँ का पुल स्वयं बना सके । यह नीति बालमन को सही , सृजनात्मक और सकारात्मक रूप से सबल करने के लिए अचूक है ।
आज आधुनिक युग में टेक्नॉलजी ने इतनी तीव्रता से शिक्षा और सीखने के ढंग को शिकंजे में ले लिया है कि हमारी जीवन शैली को नए साँचे में ढाल दिया है ।
यह बातें मैं किसी खोज के आधार पर नहीं , सिर्फ़ अनुभव के आधार पर कह रही हूँ । कई बातों के लिए मूल्याँकन कि ज़रूरत नहीं लेकिन आसपास होने वाले परिवर्तन के आधार पर भी समझी और कही जा सकती हैं।हर परिवर्तन के अच्छे और प्रभाव समय के साथ ही पता लगते हैं या महसूस होते हैं ।
‘ प्रगति का पथ किस और अग्रसर कर रहा है ? ‘आने वाली पीढ़ियों के मानसिक विकास को इसका नतीजा वक़्त ही बताएगा ।

🖋अनुपम मिठास 🖋
टोरोंटो , कनाडा

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave a Comment

×

Hello!

Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com

× How can I help you?