प्रिय आत्मन ~
आओ .. इस दीवाली पर ~ प्रिय ऐसा कोई दीप जलायें ~
दीपक ~ प्रतीक है प्रकाश का .. आलोक का ।
ज्योति ~ प्रतीक है उर्ध्वगामी आत्मा का ।
सभी धर्मों ने विशेष प्रतीकों और त्यौहारों को निर्मित किया है ~ मानव
जीवन को आनंदित और आलोकित करने की दिशा में सही मार्गदर्शन
के हेतु ! हमारे हिंदू धर्म में दीपावली का त्यौहार विशेष महत्वपूर्ण है !
ये प्रतीक है ~ अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का !
पर बदलते समय के साथ .. ये त्यौहार सार्थक कम और औपचारिक
ज्यादा बन गया है ~ क्या आपको भी ऐसा नहीं लगता ? हम सभी
दीपावली के त्यौहार पर घरों की साफ सफाई ,रंग रोगन करवा लेते
हैं , घरों को सजा लेते हैं , मिठाई तोहफे बँटवा लेते हैं , आतिशबाजी
भी हो जाती है , बहुत से दीपक जला लेते हैं ~ और हमारी दीपावली
पूरी हो जाती है ! हर साल दीपावली का त्यौहार आकर चला जाता है
और हम वैसे के वैसे ही बने रहते हैं !
क्या सच में ~ अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा हो पाती है .. ?
मनुष्य के मन में .. जो अहंकार , घृणा , लालच , क्रोध , वैमनस्य का
तमस है ~ अंधेरा है ~ क्या वो मिट पाता है .. या कम हो पाता है .. ?
शायद नहीं ~ या ये कहना ज्यादा उपयुक्त होगा .. कि निश्चित ही नहीं !
कहीं हमारी यात्रा प्रकाश से अंधकार की ओर तो नहीं हो रही है .. जिसका
प्रमाण है ~ निरंतर और अधिक अशांत और तनावपूर्ण होता जा रहा
मनुष्य का मन और जीवन ? क्या आपको ऐसा नहीं लगता .. कि निरंतर
बढते सुख के साधनों के बावजूद ~ मनुष्य के जीवन से सहज आनंद
और नैसर्गिक स्वास्थ्य कम होता जा रहा है ?
दीपावली के पर्व पर सभी लोग दीपक तो बहुत जलाते हैं .. पर शायद
गौर से कभी भी दीपक को देखते ही नहीं ! दीपक की ज्योति में .. जो
परम संदेश छुपा है .. उसे कभी समझने का प्रयास करते ही नहीं ! सब
ओर से मन को हटाकर .. थोड़ी देर दीपक की ज्योति को ध्यान से देखें
और कल्पना करें ~ कि ऐसे ही हमारे भीतर नाभि के पास .. हमारी
अपनी आत्मा की ज्योति भी इसी तरह प्रकाशित हो रही है .. और
ऊपर की ओर बढ रही है ! कुछ दिनों के सच्चे प्रयास से ही आप चकित
हो जायेंगे .. और पायेंगे कि आपके भीतर भी कुछ आलोकित होने लगा !
ये अंतस की ~ आत्मा की ~ निर्धूम ज्योति ही .. भीतर के .. मन के
अंधकार को मिटाने में सहयोगी हो सकती है ! और सच में ~ अंधकार से
प्रकाश की ओर यात्रा हो ~ तो दीपावली सही मायने में सार्थक हो सकती
है ! आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें ~ ~
इस दीवाली पर जरा सोचें और संकल्प करें .. कि ~
घर आंगन.. उजियारा है तो..
मन आंगन.. अंधियारा क्यूँ हो
जीवन सारा.. बने महोत्सव..
एक दिवस ही.. उत्सव क्यूं हो..!!
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