पल पल उड़ रहा है
वक़्त तिनके की तरह
सराह ढूंढ रहा हो जैसे
परिंदे की तरह।।
ओझल होता लम्हा कराह रहा है
“गले लगा लो मुझे,
एक बार अपना बना लो मुझे
अब गया तो लौट ना पाऊंगा
मीठी सी याद में कैद करा दो मुझे..
काल की बेहती धारा में
किस्मत को आज़माना होगा
आज कद्र कर लोगे मेरी
तो कल वक़्त तुम्हारा होगा…”
कल आज और कल का
यही अफसाना है
आज वक़्त मेरा, कल तुम्हारा है
कोशिश में रहो, ना जाने कब
तरंग हवाओं में होगी
ना तेरी ना मेरी,
तपिश यातनाओं की होंगी..
समय बलवान है
पल भर का मेहमान है
जी लो तो आबाद
जाने दो तो बर्बाद है.।
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